शिवाजी महाराज इतिहास: दोस्तों आज के युग में ऐसा कौन व्यक्ति है जो छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में नहीं जानता है उनके बारे में जितना आप सुनते हैं उससे भी कहीं ज्यादा छत्रपति शिवाजी थे उनके जीवन परिचय पर जानेंगे उनका जन्म स्थान और वह कहां रहते थे और उनके माता-पिता का क्या नाम था और छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु कब हुई थी और युद्ध कब हुए थे सभी जानकारियां जानेंगे इस आर्टिकल के माध्यम से बने रहे आर्टिकल के अंत तक ताकि आप छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कोई भी ऐसी बातों से वंचित ना रह जाए।
शिवाजी महाराज इतिहास मराठी pdf
पोस्ट का नाम | शिवाजी महाराज इतिहास,शिवाजी महाराज इतिहास मराठी pdf |
पूरा नाम | Shivaji Bhosale |
जन्म स्थान | 19 February 1630, Shivneri Fort, Kusur |
बच्चे | Chhatrapati Sambhaji Maharaj, Rajaram |
माता पिता | Shahaji, Jijabai |
जन्म स्थान | 19 फरवरी 1630 |
मृत्यु | 3 अप्रैल 1680 |
राजा जयसिंह से संधी | जून (1665) |
रायगढ़ में तिलक | (1674) |
अपहजल मृत्यु | (10 नवंबर (1659) |
साभा का जन्म | 5 सितम्बर (1659) |
शिवाजी महाराज इतिहास
मराठा राज्य के संस्थापक शिवाजी का जन्म 1627 इस बी को पूना के निकट शिवनेर का दुर्ग में हुआ था इनकी माता जी का नाम जीजाबाई तथा पिता शाह जी भोंसले थे शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदास थे जीजाबाई के आदर्शों का शिवाजी पर गहरा प्रभाव पड़ा जीजाबाई उन्हें रामायण महाभारत के वीर पुरुषों की कहानियां सुनाती रहती थी इन कहानियों के कारण शिवाजी में भी वीरवार महान बनने का विचार उठते थे
शिवाजी का विवाह सन14 मई 1640 मे सयिबयि निंबाकर।के साथ लाल महल पुणे मे हुवा ।सई भोसले शिवाजी की पहली पत्नी थीवह अपने पति के उत्तराधिकारी संभाजी की मां थी शिवाजी ने कुल आठ विवाह किए थे राजनीति के जरिए उन्होंने सभी मराठा सरदारों को एक छात्र के नीचे लाने में सफलता प्राप्त की।
उस समय दक्षिण राज्यों की दशा अच्छी नहीं थी बीजापुर का गोलकुंडा नामक दो रियासतें थी शिवाजी के पिता बीजापुर के सुल्तान के यहां नौकरी करते थे उस समय भारत के अधिकांश भाग उस समय भारत के अधिकांश भाग और औरंगजेब का शासन था
शिवाजी ने तट पर रहने वाले मालवे रहने पानी युवकों की सेना संगठित की।महाराष्ट्र का प्रदेश पहाड़ी और जंगली होने के कारण गरल्ला युद्ध के लिए उपयुक्त था।शिवाजी ने 19 वर्ष की आयु में पूना के निकट स्थित तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लियाइसके बाद शिवाजी ने बीजापुर के सुल्तान से राजगढ़ चाकन ,बारामती ,इंद्रपुर, तथा पुरंदर ,आदि दुर्ग के छीन लिएतथा रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाई बीजापुर सुल्तान ने अफजल खान के बीजापुर सुल्तान ने अफजल खां के नेतृत्व में एक बड़ी सेना भेजें अफजल खान शिवाजी को धोखे से माना जाता था दोनों मित्रता के लिए एक ही स्थान पर मिले तो गले मिलते समय अफजल खाने शिवाजी के ऊपर वार किया लेकिन शिवाजी चौक अन्य थे उन्होंने अफजल खान के पेट में छुरा भोंक कर उसका अंत कर दिया।
शिवाजी की बढ़ती ताकत को देख शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखकर औरंगजेब ने शिवाजी का दमन करने हेतु राजा जयसिंहराजा जय सिंह के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी तब शिवाजी नेजून 1665 में संधि कर ली। जिसमें शिवाजी को अपनी 23 दुर्ग मुगलों को देने पड़े।शिवाजी राजा जयसिंह के साथ औरंगजेब के दरबार में हाजिर हुएवहां औरंगजेबने इनको तथा पुत्र संभाजी को आगरा किला में गिरफ्तार कर लियाकुछ समय बाद शिवाजी व संभाजी फलों केकुछ समय बाद शिवाजी व संभाजी फलों के टोकरे में बैठकर महल से बाहर। निकल आए महाराष्ट्र पहुंचने पर उन्होंने अपने खोए हुए किलो पर पुन अधिकार कर लिया।
विवश होकर उन्हें विवश होकर 1968 ईस्वी में औरंगजेब ने शिवाजी से संधि कर ली तथा राजा की उपाधि व जागीर देसन 16सन 1674 में शिवाजी का राजतिलक रायगढ़ में हुआऔर छत्रपति की उपाधि धारण की सन 1680 इसमें में शिवाजी की मृत्यु हुई शिवा जी ने अपने राज्य का अच्छा प्रबंध किया थाा उन्होंने मराठा सैनिकों को संगठित किया उनमें देश भक्त
त्याग और बलिदान की भावना कर दी शिवाजी की सेना में शिवाजी की सेना में हिंदू-मुसलमान दोनों है
उन्होंने हिंदुओं वह मुसलमानों से समान व्यवहार कियाा शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे तथा महिलाओं की इज्जत करते थे उन्होंने बुद्धि बल से जनता को संगठित कर स्वतंत्र मराठा राज्य की स्थापना की सभी व्यक्तियों में देश भक्त तथा राष्ट्रीय एकता का विकास किया शिवाजी इतिहास में राष्ट्र निर्माता के रूप में प्रसिद्ध है।
शिवा जी की राजमुद्रा
शिवा जी की राजमुद्रा संस्कृतमैं लिखी हुई अष्टकोण मुहरथीजिसका उपयोगवे अपने पन्नू एवं सैन्य सामग्री पर करते थेउनके हजारों पत्र प्राप्त हैं
जिन पर राजमुद्रा लगी हुई माना जाता है कि शिवाजी के पिताशाह जी राज उसने ले गया राजमुद्रा उन्हें तब प्रदान की शिवाजीपोता प्रदान की थीजबशाह जी ने जीजाबाई और तरुण शिवाजी कोपुणे की जागीर संभालने के लिए भेजा जिससे सबसे पुराने पत्र पर यह राजमुद्रा लगीवह सन 1331 का है |
chhatrapati shivaji history
FAQs शिवाजी महाराजांचा
शिवरायांच्या सैन्यात मराठे सर्वात जास्त होते, सर्सेनापति मराठा होते, तसेच महाराज स्वता जातीने मराठाच होते.
शिवाजी महाराजांचा मृत्यू १६८० च्या एप्रिल ३ रोजी रायगड येथे होऊन गेला.