Bhuj की Real Story क्या है? फिल्म ‘भुज’ की कहानी | Bhuj based on true story

आज कि कहानी हम इस विषय पर जानेंगे भुज की रियल स्टोरी के बारे में बात करेंगे बात है | जमीन से लेकर आसमान तक दुश्मन पर विजय पाने वाले Real Super Hero लीडर विजय कार्णिक की रियल लाइफ कहानी ‘भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’ पर्दे पर उतरने वाली है | ‘How The jos” फिल्म उरी मैं अपने जांबाज जवानों को देखकर हर हिंदुस्तानी का जोश हाई हो ही जाता है |

Bhuj की Real Story क्या है?

साल 1971 भारत और पाकिस्तान युद्ध की जो बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के रूप में जाना जाता है |
भारत के सैन्य बलों द्वारा पाकिस्तान के बीच लड़ा गया। यह पूर्वी पाकिस्तान की जमीन पर बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बीच हुआ । तारीख थी 3 दिसंबर 1971 को आरंभ हुआ और 16 दिसंबर 1971 को ढाका के पतन तक चला गया | युद्ध की शुरुआत 11 भारतीय वायु सेना के हवाई स्टेशन पर ऑपरेशन चंगेज खान के हवाई हमला से शुरू हुई ।

वह दिन था 8 दिसंबर 1971 को जब भारत पर पाकिस्तानी वायु सेना ने रात में हमला किया था भुज में भारतीय वायुसेना की एक पट्टी पर 14 से अधिक नेपलम बम गिराए गए जिससे भारतीय वायु सेना के जंगी विमानों के उड़ान भरने में बाधा उत्पन्न हो। भारतीय वायुसेना BSF की मदद लेनी चाही परंतु इस काम को करने के लिए पर्याप्त सैनिक नहीं थे |

300 से अधिक महिलाओं ने 72 घंटों

जबकि, भुज के नजदीक गांव माधापुर के लोगों ने भारतीय वायु सेना की सहायता की मुख्य रूप से गांव की लगभग 300 से अधिक महिलाओं ने 72 घंटों में हवाई पट्टी का दुरुस्ती करण का कारण सफलतापूर्वक कर लिया।इन्हीं प्रतिभागियों में से एक, वलबाई सेधानी ने एक समाचार पत्र को बताया हम लगभग 300 महिलाएं थी, जिन्होंने भारतीय वायु सेना की मदद की अपने घरों मे बच्चों को छोड़कर यह निर्णय लिया कियहां फिर से विमान उड़ान भरेंगे अगर हम मर भी जाते तो यह एक सम्मान जनक मौत होती।।

सेधानी ने कहा हम तुरंत दौड़क इधर उधर झाड़ियों में झोपड़ियों में छुप जाते थे हमें खुद को छिपाने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनने को कहा गया था जिससे आसमान पर आते जाते दुश्मन की नजर हम पर ना पड़े एक छोटा सा सांकेतिक सायरन था वह सुनकर हम काम शुरू कर देते हमने दिन के उजाले में अधिकतम उपयोग करने के लिए सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत की।

कौन हैं विजय कार्णिक?

Vijay Karnik ki story 1971 war india vs pakistan


विजय कर्णिक
पूर्व भारतीय वायुसेना अधिकारी
कार्यकाल –26 मई 1962 –14 अक्टूबर 1986

विजय कर्णिक का जन्म 6 नवंबर 1939 को नागपुर महाराष्ट्र में हुआ इनके माता का नाम ताराबाई कार्निक और पिता का नाम श्रीनिवास उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए |

कौन हैं विजय कार्णिक? Bhuj Real Story – भुज युद्ध 1971 अजय देवगन


विजय कर्णिक जो अब सेवानिवृत्त भारतीय वायुसेना के अधिकारी हैं। उन्होंने 1971 में भारतीय वायुसेना में एक Wing Comounder के रूप में कार्य किया।

क्षतिग्रस्त हो गई हवाई पट्टी के निर्माण के लिए माधोपुर की महिलाओं को जुटाने का विचार उन्हीं का था वह सेना की पृष्ठभूमि से हैं उनके भाई भी भारतीय सेना में सेवारत हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में भारतीय वायु सेना के भुज शहर में स्थित वायु सेना का एयरवेज संचालित करने का काम विजय कुमार काणिक को अपने ऊपर लिया था |

इसमें भारत के मित्रों वाहिनी बल और पाकिस्तान के बीच एक घमासान और खतरनाक युद्ध हुआ, युद्ध के विषय में बात करते हुए विजय कर्णिक ने कहा हम एक युद्ध लड़ रहे थे | और अगर इसमें किसी भी महिला की कोई हताहत हुई होती |

तो यह युद्ध प्रयास के लिए एक बड़ी क्षति होती लेकिन हमने फैसला लिया कि वह काम कर गया,मैंने उन सभी को बताया था कि अगर हमला हुआ तो वह सब कहां शरण ले सकते हैं और उन्होंने इस बहादुरी से उसका पालन किया।

यह युद्ध दो मोर्चों पर लड़ा गया।।

(1)पूर्वी पाकिस्तान जो बांग्लादेश के रूप में स्थापित है
(2)पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान)

1971 Pakistan पर भारत की जीत का प्रतीक विजय ज्वाला 11 जुलाई 2021 को भारतीय नौसेना स्टेशन कट्टाबोम्मन में प्राप्त किया गया है एक औपचारिक गार्ड आफ ऑनर भी आयोजित किया गया था जिसे लव प्राप्त हुई |

भुज युद्ध 1971 अजय देवगन


हाल मैं ही आई फिल्म भुज द रियल प्राइड ऑफ इंडिया में इस स्क्वाड्रन लीडर विजय करने का और आईएनएस कट्टाबोम्मन के पीछे की वास्तविक कहानी है | इस फिल्म में मुख्य अभिनेता अजय देवगन स्क्वाड्रन लीडर विजय कर्णिक की भूमिका में है जो भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भुज की एक गांव की लगभग 300 महिलाओं के अजीज और बहादुर योगदान के पीछे थे, भारत ने वहीं युद्ध जीता और उनका योगदान सबसे योग्य था |

1971 भारत–पाक युद्ध

1971 का साल भारत, पाकिस्तान वा बांग्लादेश के इतिहास में काफी ज्यादा अहमियत रखता है। यही वह साल था जब भारत ने पाकिस्तान को वह जख्म दिया जिसकी टीस पाकिस्तान को हमेशा महसूस होती रहेगी।
बांग्लादेश की बात करें तो यही साल था जब दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित हुआ आइए आज हम पाकिस्तान के दो टुकड़े और बांग्लादेश के अस्तित्व मैं आने की पूरी कहानी जानते हैं |

1971 के इतिहास बदलने वाले युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर को हुई थी

युद्ध के दौरान भारत और पाकिस्तान की सेनाओं का एक ही साथ पश्चिमी एवं पूर्वी दोनों फ्रंट पर और यह तब तक चला जब तक की पूर्वी पाकिस्तानी कमान ने आत्मसमर्पण पर 16 दिसंबर 1971 मैं ढाका के हस्ताक्षर नहीं कर दिए |

उसके साथ ही पूर्वी पाकिस्तान को एक नया राष्ट्र बांग्लादेश घोषित कर दिया गया जिसमें लगभग 90 हजार से 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को भारत की सेना द्वारा युद्ध बंदी बना लिया गया था।
जिसमें 79676 से 91000 तक पाकिस्तानी सेना के वर्दीधारी सैनिक थे जिसमें कुछ बंगाली सैनिक भी थे जो पाकिस्तान के वफादार थे, 10324 से लगभग 15000 बंदी वह नागरिक थे, जो पाकिस्तानी सहयोगी थे |

एक अनुमान के अनुसार यह युद्ध लगभग 30,000 से लगभग 300000 बांग्लादेशी नागरिक हताहत हुए इस संघर्ष के कारण 90 हजार से लगभग 1 लाख नागरिक पड़ोसी देश भारत में शरणार्थी रूप में प्रवेश कर गए

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