Subhas Chandra Bose Biography: भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए महान स्वतंत्रता संग्रामी सुभाषचंद्र बोस थे। उड़ीसा के बंगाली परिवार में जन्मे सुभाषचंद्र बोस ने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने देश के नाम कर दी थी।
साथ ही उन्होंने जापान का समर्थन भी किया। वह नेतृत्व करते हुए अपने समर्थकों को “ज़रदोस्त के नेता” कहता था।
1943 में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में “आजाद हिंद सरकार” का गठन किया। जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इसका मुख्यालय था। बोस ने इस सरकार को भारत की स्वाधीनता और स्वतंत्रता का प्रतीक समझा।
हालाँकि, जापान 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में पराजित होने से उनकी योजनाएं असफल हो गईं। 18 अगस्त, 1945 को मरने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने की कोशिश छोड़ दी।
“नेताजी” नामक सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हम आज भी उनकी साहसिकता, स्वतंत्रता प्रेम और देशभक्ति की प्रेरणादायी कहानी सुनते हैं।
सुभाष चन्द्र बोस के जीवन के बारे
1.सुभाष चंद्र जी का जन्म और उनके परिवारिक संबंध!
2.विद्यालय शिक्षा !
3.अंग्रेजों के भारत पर अत्याचार!
4.सिविल सर्विस का त्याग!
5.यात्रा!
6.दूसरा युद्ध!
7.देश के प्रति योगदान!
8.सुभाष चंद्र बोस का यूरोप से बाहर निकालना!
सुभाष चंद्र जी का जन्म औरउनके परिवारिक संबंध।
- सुभाष चंद्र बोस का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस था।
- इनका जन्म 23 जनवरी (1897 )कटक उड़ीसा में हुआ था
- सुभाष चंद्र बोस जी की माता का नाम प्रभावती तथा पिता का नाम जानकीनाथ बोस था।
- सुभाष चंद्र बोस जी के पिता जानकीनाथ कटक के प्रसिद्ध और बहुत माने जाने वाले वकील थे।
- नेता जी के पिता जी को राय बहादुर भी नाम दिया गया ।
- सुभाष चंद्र बोस जी के 7 भाई और 6 बहन ने थी।
- सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम एमिली शेंकल था !
सुभाष जी का विवाह
- सुभाष चंद्र बोस का विवाह सन (1937 )में हुआ !
- सुभाष चंद्र के विवाह के बारे में लोगों को सन (1993) मैं पता लगा !
- सुभाष चंद्र बोस की एक बेटी भी हुई जिसका नाम अनिता बोस था !
सुभाष जी की विद्यालय शिक्षा
- चंद्र बोस अपने विद्यालय मेंअध्यापकों के सबसे प्रिय छात्र थे!
- सुभाष चंद्र बोस जी को बचपन से ही शिक्षा प्राप्त करने का बहुत शौक थासुभाष चंद्र बोस को बचपन से शिक्षा प्राप्त करने का बहुत शौक था!
- वह अपने शिक्षा को लेकर बहुत गंभीर हुआ करते थे!और उन्हें खेल में बहुत ही कम रुचि थी!
- सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा प्राइमरीकटक के प्रोटो स्टैंड यूरोपी स्कूल से पूरी हुई
- !सुभाष चंद्र बोस ने रेवेनशा कॉलेजिएट स्कूल में एडमिशन लिया !
- सुभाष चंद्र बोस के कॉलेज के प्रिंसिपल बेनी माधव दास के व्यक्तित्व पर सुभाष चंद्र जी को बहुत प्रभाव पड़ा !
- (1995) में इन्होंने इंटर की परीक्षा पास की!
- (1916) में b.a. में प्रवेश लिया !
अंग्रेजों के भारतीयों पर अत्याचार।।
- कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में फेलोशिप सूफी में जहां से सुभाष चंद्र बोस ने बीए की डिग्री प्राप्त की
- वहां पर अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतीयों को सताने लगे
- और अंग्रेजों का विरोध सुभाष चंद्र बोस करने लगे।
- उस समय यह पहली बार हुआ था जब सुभाष चंद्र बोस के मन में अंग्रेजो के खिलाफ विरोध के भाव उत्पन्न हुए ।
- नेताजी के मुंह में देश के प्रति अति प्रेम था सुभाष चंद्र बोस के मन में सिर्फ एक ही सपना था
- कि वह अपने देश को पूर्ण रूप से अंग्रेजों के दुखों से उनके अत्याचारों से उनके दुर्व्यवहार ओ से देश को मुक्त करा सकें।
- अंग्रेजों के शासन में देश का कोई भी नागरिक सरकारी नौकरी सिविल सर्विस पर नहीं जा सकता था।
सुभाष चंद्र बोस जी को सिविल सर्विस का त्याग
- सुभाष चंद्र बोस जी का सपना सिविल सर्विस करने का था।
- सुभाष चंद्र बोस जी के पिता जानकीनाथ बोस बोस जी को उनकी सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए इंग्लैंड भेज दिए।
- सुभाष चंद्र बोस जी ने अपने सिविल सर्विस की तैयारी बहुत मेहनत से और लगन से बहुत अच्छी तरीके से की।
- और यह सिविल सर्विस में चौथा स्थान लेके आए। की सबसे अत्यधिक अंक अंग्रेजी विषय पर आए।
- सुभाष चंद्र बोस की मेहनत और लग्न का नतीजा सन (1921 )में इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी प्राप्त करके।
- नौकरी को छोड़ने का निर्णय लिया। और देशप्रेम चलते हुए उन्होंने नौकरी को ठुकरा दिया।
- सुभाष चंद्र बोस जी श्री स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे।
- और श्री स्वामी विवेकानंद जी की एक-एक शब्द का पूर्ण रुप से पालन करते थे।
सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक जीवनी।।
- सुभाष चंद्र बोस ए भारत आते ही भारत को स्वतंत्र बनाने में अपना योगदान देने लगे।
- सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस पार्टी में नेता के पद पर स्थापित रहे
- और चितरंजन दास के नेतृत्व में इन्होंने काम किया
- और सुभाष चंद्र बोस चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
- सन (1922) में चितरंजन दास नेहरू जी के साथ कांग्रेस को छोड़कर अपनी अलग पार्टी स्वराज पार्टी बना लिए थे।
- अंदाज़ और उनकी पार्टी मिलकर रणनीति बना रहे थे।
बोस जी का नारा
- सुभाष चंद्र जी का विचार था कि भारत को पूर्ण रूप सेसुभाष चंद्र जी का विचार था
- कि भारत को पूर्ण रुप से स्वतंत्र कराया जाए !
- इसके बीच कांग्रेस कमेटी के ज्यादा से ज्यादा लोगों का विचार था?
- कि भारत को सबसे पहले डोमिनियम का दर्जा मिले /फिर भारत को स्वतंत्रता मिले!
- सुभाष चंद्र बोस और गांधीजी के विचार जहां तक बिल्कुल नहीं मिलते थे
- दोनों के विचार एक दूसरे से विपरीत हुआ करते थे!
- सुभाष चंद्र बोस का देश की जनता से यही कहना था! “
- कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”
- यानी कि तुम मुझे समर्थन दो मैं तुम्हें
- आजाद कर आऊंगा!
- कुछ इतिहासकारों का कहना है
- की सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी से सहायता लेने का प्रयास किया
- तो ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सीधा मृत्यु पर पहुंचाने का आदेश दीया
सुभाषचंद्र बोस जी ने एक नारा दिया ”तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा,,
21 अक्टूबर (1943)
- नेताजी के नाम से सुभाष चंद्र बोस ने सशक्त क्रांति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से
- 21 अक्टूबर (1943) को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की तथा आजाद हिंद फौज का गठन किया
- इस संगठन के प्रतीक चिन्हपर एक झंडे के साथ 4 जुलाई (1944 )को बर्मा पहुंचे यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा तुम मुझमैं तुम्हें आजादी दूंगा”!
यात्राएं
- राजनीति से पहलेनेताजी ने पूरी दुनिया पर भ्रमण किया सुभाष चंद्र बोस (1933 )से 36 यूरोप मेंयही दौर थाहिटलर के नाजीवाद और मुसोलिनी के फासीवाद का नाजीवाद और फासीवाद का निशाना इंग्लैंड था
- इससे पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी पर एक तरफ से समझौते की धमकी दी
- यह लोग इसका बदला इंग्लैंड से लेना चाहते थेे
- भारत पर भी अंग्रेजों का कब्जा था
- और इंग्लैंड के खिलाफ लड़ाई में नेताजी को मुसोलिनी मेंइसका दोस्ती दिखाई पढ़ रहा था
- दुश्मन का दुश्मन ही दोस्त होता है
- उनका मानना था कि स्वतंत्रता हासिल करने के लिए राजनीतिक गतिविधियों के साथ कूटनीतिक और सैन्य सहयोग की भी जरूरत पड़ती है

दूसरा युद्ध
- सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि अंग्रेजों के दुश्मनों से मिलकर आजादी हासिल की जा सकती है
- और उनके विचारों को देखते हुए उन्होंने ब्रिटिश सरकार को कोलकाता में बंद कर लिया
- लेकिन वे अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस की सहायता से वहां से निकल लिए
- वह अफगानिस्तान से होते हुए जर्मनी जा पहुंचे !
सुभाष चंद्र बोस का योगदान
- भारत के स्वतंत्रता के इतिहास में सुभाष चंद्र बॉस की याद आती है
- जिनमें इतिहास में सुभाष चंद्र का नाम अत्यधिक आता है
- सुभाष चंद्र बोस सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए यह आंदोलन गांधी जी के देखरेख मेंचल रहा था
- जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा आईसीएस में सफलता प्राप्त की
- सुभाष चंद्र बोस जी ने राष्ट्रीय कांग्रेस आईएनसी के एक सदस्य भी बने
- 1939 में सुभाष चंद्र बोस को पार्टी अध्यक्ष में चुना गया
- फिर सुभाष चंद्र बोस ने 1940 में इस पद से इस्तीफादीया
- अपनी पार्टी की स्थापना फारवर्ड ब्लाक के नाम से कीसुभाष चंद्र बोस बहुत दिनों तक क्रांतिकारी चरमपंथी बनकरसेना की तरह अलग बनने की कोशिश करते रहे
- और कई और कई तरीके से सुभाष चंद्र बोस ने अपनी मातृभूमि मेंअपने देश के लिए योगदान दिया
- आईएनसी सुभाष चंद्र बोस द्वारा किया गया हमला हो जाए
- बहुत दिन तक रहा हो
- आईएनसी सुभाष चंद्र बोस द्वारा किया गया
- हमला चाय बहुत दिन तक रहा हो
- लेकिन ब्रिटिश लोगों के कार्यों को रोकने के लिएअपने देश में वापस जाने के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था
सुभाष चंद्र बोस का यूरोप से बाहर निकालना
- सुभाष चंद्र बोस का यूरोप से बाहर निकालना
- अंग्रेजों द्वारा सुभाष चंद्र बोस कोयूरोप से निकालने के बादसुभाष जी ने अनेक यूरोपियों व्यक्तियों के साथ अपने संबंध स्थापित किए
- जो भारत में रहकर नहीं हो सकता थासुभाष चंद्र बोस है
- सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे पुरुष थे
- जिन्होंने ने आजाद हिंद फौज की रानी लक्ष्मी बाई फौज की स्थापना की थी
- ब्रिटिश से देश में जब भारत के लोगों में खून बहा रहे थे
- यह बढ़ने से रेडियो प्रसारण के बारे मेंउनकी श्रंखला थी
- कम से कम देश में मरने वाले को अमर बनाया जा सके
- सुभाष चंद्र बोस भारत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति थे