महाराणा प्रताप का जन्म: इस आर्टिकल पेज पर हम महराणा प्रताप की जीवन चक्र के बारे मे आपको कुछ जानकारी देंगे जो आप् ध्यान पूर्वक पड़ने का प्रयास करेंगे । हलाकी हम आपको बता दे की महराणा प्रताप काफी मशहूर यूद्धा और कलाकार थे बताया जाता है की इनका परिवार कफ़ी लम्बा था इनके परिवार के सदस्यों ने बहुत सी तकलीफो का सामना किया लेकिन किसी के अधीन नही रहे तो आये फिर हम आपको जानकारी निचे दे रहे की
चित्ताड के राजा के कार्य काल की सूची
जन्म् | 9 मई (1540) |
स्थान | चित्ताड |
पिता का नाम | महाराना उदय सिंह |
माता का नाम | महरानी जयवन्ति बाई |
भाई | 23 |
पत्नि | 14 |
पुत्र | 17 |
बेटी | 5 |
राजतिलक | उम्र 31 |
जीते हुवे किले | 22 |
हारे हुवे किले | 2 |
शासन काल | 25 वर्ष |
मृत्यु | 23 जनवरी 1597 |
महाराणा प्रताप का परिवार
प्रताप ने मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह के पुत्र के रूप में 9 मई सन 1540 ईसवी में चित्तौड़ में जन्म लिया महाराणा प्रताप सिंह के महाराणा प्रताप 23 भाई थे महाराणा प्रताप जी इन सब भाइयों में बड़े थे!इनकी माता का नाम महारानी जयवंताबाई सोनगरा था!और इनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह था महाराणा प्रताप जी की 14 पत्नियां 17 बटे 5 बेटियां थे ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप का परिवार काफी लंबा था!महाराणा प्रताप बहुत ही महान व्यक्ति थे इन्होंने बहुत से युद्ध किए
महाराणा उदय सिंह का निधन
सम्राट अकबर केसम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार करने के कारण अकबर एक बड़ी भारी फौज लेकर मेवार पर चढ़ गया राणा उदय सिंह ने चित्तौड़ से भागराणा उदय सिंह ने चित्तौड़ से भागकर अरावली पहाड़ का डेरा डाला और वहां धीरे-धीरे उदयपुर नामक राजधानी बनाई चित्तौड़ के युद्ध के 4 साल बाद महाराणा उदयसिंह की मृत्यु हो गई!
महाराणा प्रताप का राजतिलक
राणा प्रताप बचपन से ही बड़े वीर थे डेयरडेविल और स्वाभिमानी थे प्रताप का राजतिलक 31 साल की उम्र में हुआ अकबर के ध्यानचौर पर अधिकार करने के कारण सारा चेचचौर किले में रह गया तथा बहुत से राजतिलक भी अकबर के साथ युद्ध करते हुए मारे गए। राणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह वाह जगमाल अकबर की शरण में चले गए!
महाराणा प्रताप की वीरता
महाराणा प्रताप अटूट साहसी व वीर थे वे कठिनाइयों से तनिक भी विचलित नहीं हुए वह हर समय अपनी भूमि मेवाड़ को आजाद कराने की धुन में लगे रहते थे राणा प्रताप ने सभी सरदारों को बुलाया तथा उनमें जोश भरने के लिए निम्न प्रतिज्ञा की
मैं चित्तौड़ को जीते बिना सोनेचांदी के बर्तन की जगह पतलो पर भोजन करूंगा!
महलों की जगह झोपड़ी में रहूंगा और तब तक अपनी दाढ़ी नहीं बनवाऊंगा!
इस प्रतिज्ञा को प्रताप ने मरते दम दम निभायासरदारों की सहमति बनाने पर प्रताप ने अकबर से युद्ध कराने तैयारियां शुरू कर दी !अकबर ने उनसे मित्रता चाहीअकबर ने उनसे मित्रता चाही लेकिन प्रताप अपने संकल्प पर अडिग रहें!
उदयपुर कोउदयपुर को असुरक्षित समझ कर प्रताप ने जनता को कोमल अमीर की घाटी में चला जाने का आदेश दिया!
तथा स्वयं साथियों के साथ कोमल मीर दुर्ग में पहुंच गए!
हल्दी घाटी का युद्ध
सम्राट अकबर ने अपनी 20,0,000 सेना को सलीम के नेतृत्व में राणा प्रताप का दमन करने के लिए भेजासेना के साथ मान सिंह व शक्ति सिंह भी गएमहाराणा प्रताप और मानसिंह की सेनाओं के बीचहल्दीघाटी में भीषण युद्ध हुआ प्रतापगढ़ बहादुरी से लड़े!उन्होंने मान सिंह व सलीम पर भाला का प्रहार किया लेकिन वे दोनों बच गएइधर मुसलमान सिपाहियों ने प्रताप को घेर लियालेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और लड़ते रहेझाला के कारण मन्नत सिंह ने देखा कि प्रताप घायल तथा थके हुए हैंतो उसने प्रताप के सिर केतो उसने प्रताप के सिर के छात्र को अपने ऊपर रख लियाप्रताप को सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा!
महाराणा प्रताप की हार
झाला राणा को प्रताप समझ कर मुसलमान सैनिक ने उसे मार डाला!राणा प्रताप को सुरक्षित स्थान की तरफ जाने में 2
मुसलमान सैनिक अफसर उनके पीछे हो लिएयह दृश्ययह दृश्य शक्ति सिंह भी देख रहा था।उसने दोनों अफसरों को रास्ते में मार दिया तथा प्रताप से क्षमा मांगी प्रताप को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के बाद उनका घोड़ा चेतक ने दम तोड़ दियाहल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप के 22000 सैनिक में अधिकांश मारे गए तथा महाराणा प्रताप पराजित हुए।
हल्दीघाटी के युद्ध के कारण महाराणा प्रताप की हड़बड़ी !
हल्दीघाटी के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप के दिन बड़ी कठिनाइयों में बीतेेउनके परिवार को जंगली फल फूल व घास की रोटियां तक खानी पड़ी इन कष्टों को जेल कर भी उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप को किसी की अधीनता स्वीकार नहीं थीवह बहुत स्वाभिमानी और खुद्दार थे।
मेवाड़ राज्य की जीत
एक दिन महाराणा प्रताप के मंत्री भामाशाह ने दावा किया कि 25 हजार मोहरे दावेदार की धन की मदद से प्रताप ने भी लो तथा राजपूतों की विशाल सेना तैयार कीअपना मुगलों से युद्ध होते हुए कई वर्षों में धीरे-धीरे महाराणा प्रताप ने 22 के लिए जीत हासिल की 2 किलो जीतने से रह गए सारा मेवाड़ राज्य जीत के अलावा
महाराणा प्रताप की मृत्यु
महाराणा प्रताप ने सिंहासन पर बैठते समय चित्तौड़ किले को जीतने की प्रतिज्ञा की थीमहाराणा प्रताप चित्तौड़ को अपने अधिकार में लाने के प्रयत्न में थे कि 23 जनवरी 1597 ने उन्हें मृत्यु ने आ घेरामरते समय बेटा अमर सिंह को बुलाकर चित्तौड़ को आजाद कराने को कहाअमर सिंह से वचन लेने के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग सिधार गईराणा प्रताप ने अपने 25 वर्ष के शासनकाल में ऐसी कीर्ति फैलाए जो देश की सीमा को पार कर अमर हो गई
दोस्तों महाराणा प्रताप इतिहास में बहुत ही प्रसिद्ध महान योद्धा कार और कलाकार थे इनके बखान इतिहास में बड़ी-बड़ी किताबें लिखी गई हैं, इनकी कीर्ति यश का प्रभाव ही रहा है यह अत्यंत स्वाभिमानी और खुददार थे इन्हें गद्दारी बिल्कुल स्वीकार नहीं करना चाहते थे यह सबका हित चाहते थे । दोस्तों आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर करें