hallo friend आज के Article मैं हम देश भक्ति गीत लिखने वाले हैं जो कि आने वाले 15 अगस्त में बहुत ज्यादा जरूरी है स्कूल जाने और कॉलेज जाने वाले बच्चों को यह गीत बहुत ही पसंद आएंगे और उनके लिए जरूरी भी है अगर आप ही जानना चाहते हैं तो ध्यानपूर्वक पढ़ें
अब तुम्हारे हवाले है वतन
साथियों कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
सांस थमती गई, नब्ज जमती गई, फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया मरते मरते रहा बाँकपन साथीयों अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज आती नहीं हुस्न और इश्क दोनो को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथीयों अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
राह कुर्बानियों की ना वीरान हो तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
है प्रीत जहाँ की रीत सदा
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आईतारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई
देता ना दशमलव भारत तो, यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था धरती और चाँद की दूरी का, अंदाज़ लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आई, पहले जनमी है जहाँ पे कला अपना भारत वो भारत है, जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा, ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया भगवान करे ये और बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले
है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
जीते हो किसीने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
इतनी ममता नदियों को भी, जहाँ माता कहके बुलाते है इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जातें है
उस धरती पे मैंने जन्म लिया, ये सोच के मैं इतराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
ऐ वतन ऐ वतन
तू ना रोना, कि तू है भगत सिंह की माँ मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं
डोली चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी हँसके हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं
जलते भी गये कहते भी गये आज़ादी के परवाने
जीना तो उसी का जीना है जो मरना देश पर जाने
जब शहीदों की डोली उठे। धूम से देश तुम वालों आँसू बहाना नहीं
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन तुम हमें भूल जाना नहीं
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम तेरी राहों में जां तक लुटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हमभेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे
हम तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का
उस कदम का निशां तक मिटा देंगे हमजो भी दीवार आयेगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे ।
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हम बुलबुलें हैं उसकी
वो गुलसिताँ हमारा। परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ कावो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जिनाँ हमारा।
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं।
हम वतन है हिंदुस्तान हमारा।
यह देश है वीर जवानों का
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का गहना
यहाँ चौड़ी छाती वीरों की, यहाँ भोली शक्लें हीरों की
यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में, मचती में धूमें बस्ती में पेड़ों में बहारें झूलों की,
राहों में कतारें फूलों की यहाँ हँसता है सावन बालों में,
खिलती हैं कलियाँ गालों में कहीं दंगल शोख जवानों के,
कहीं करतब तीर कमानों के यहाँ नित नित मेले सजते हैं,
नित ढोल और ताशे बजते है दिलबर के लिये दिलदार हैं।
हम, दुश्मन के लिये तलवार हैं हम मैदां में अगर हम डट जाएं,
मुश्किल है कि पीछे हट जाएं
हर करम अपना करेंगे
ऐ मुहब्बत तेरी दास्तां के लिए मैं हूँ तैयार हर इम्तिहां के लिए जान बुलबुल की है गुलिस्तां के लिए ऐ मुहब्बत तेरी दास्तां के…
इक शोला हूँ मैं इक बिजली हूँ मैं आग रखकर हथेली पे निकली हूँ
मैं दुश्मनों के हर एक आशियाँ के लिए जान बुलबुल की है …
ये ज़माना अभी मुझको जाना नहीं सिर कटाना है पर सिर झुकाना नहीं मुझको मरना है।
अपने हिन्दुस्तां के लिए जान बुलबुल की है …
हर करम अपना करेंगे -२ ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है जां भी देंगे।
ऐ वतन तेरे लिए मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू तेरा सब कुछ मैं मेरा सब कुछ तू हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए और कोई भी कसम कोई भी वादा कुछ नहीं
एक बस तेरी मोहब्बत से ज्यादा कुछ नहीं कुछ नहीं हम जियेंगे और मरेंगे
ऐ सनम तेरे लिए सबसे पहले तू है तेरे बाद हर एक नाम है तू मेरा आग़ाज़ था तू ही मेरा अन्जाम है।
अन्जाम है हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ सनम तेरे लिए दिल दिया है जां भी …
मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू तेरा सब कुछ मैं मेरा सब कुछ तूहर करम अपना करेंगे -२ ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए तू मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू मेरा अभिमान है
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम वतन हम नाम हैं जो करे इनको जुदा मज़हब नहीं इल्जाम है हम जिऐंगे या मरेंगे …
तेरी गलियों में चलाकर नफ़रतों की गोलियां लूटते हैं सब लुटेरे दुल्हनों की डोलियां लुट रहा है
आंप वो अपने घरों को लूट कर खेलते हैं बेखबर अपने लहू से होलीयां हम जिऐंगे या मरेंगे …