चिकन पॉक्स में दूध पीना चाहिए या नहीं – Chicken pox kya hota hai (छोटी माता / बड़ी माता के घरेलु उपचार)

चेचक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी -: (checkenpox mahatvpurn translation in Hindi) चेचक एक अध्यात्मिक संक्रामक रोग है और यह रोग सही कैसे होगा छोटी माता के घरेलु उपचार क्या है? / बड़ी माता के उपचार क्या है और घरेलु उपचार क्या है और चिकनपॉक्स होता कैसे है सभी जानकारी हमारे इस आर्टिकल में –

Chicken pox kya hota hai

गंभीर बीमारी के कारण यह रोग जो बुखार ,लाल चकत्ते ,खांसी और लाल पानी वाली आंखों का कारण बनती है यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के पास नहीं है छीकने से हवा के मध्य फैलता है चेचक लाल चकत्ते के प्रकट होने के लगभग 4 दिन पहले से लेकर 4 दिन बाद तक संक्रामक होता है |

चेचक (शीतला ,बड़ी माता ,स्मालपोक्स) एक विषाणु जनित रोग है स्वासशोथ एक संक्रामक बीमारी हैं जो दो वायरस प्रकारों, व्हेरोला प्रमुख व्हेरोला नाबालिक के कारण होती हैं इस रोग को लैटिन नाम व्हेरोला या व्हेरोला वेरा द्वारा भी जाना जाता है जो व्युत्पन्न (“स्पॉटेड”) या वार्स (“पिंपल”) से प्राप्त होता है मूल रूप से अंग्रेजी में “फॉक्स” लाल “प्लेंग” के रूप में जानते हैं यह रोगअत्यंत संक्रामक है जब तक रोग की महामारी फैला करती है कोई भी जाति और इसमें नहीं बची है टीके के अविष्कार से इससे पूर्व इस रोग से बहुत अधिक मृत्यु भी होती हैं |

यह रोग दस हजार ईसा पूर्व से मानव जाति को पीड़ित कर रहा है १७ वी सदी में हर साल यूरोप में ही इससे चार लाख लोग मरते हैं यह रोग अत्यंत प्राचीन है आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका वर्णन किया गया है मिस्र में वर्ष ईसा पूर्व की एक नमी पाई गई है चेचक एक संक्रामक, कुरूपित करने वाली और घातक बीमारी है वैश्रिक टीकाकरण अभियान के कारण ,1980 तक स्वाभाविक रूप से होने वाले चेचक को दुनिया भर में खत्म कर दिया गया था

चिकन पॉक्स कितने प्रकार के होते हैं

कई तरह की ऐसी बीमारियां है इनके बारे में हम पूरी तरह से नहीं जान सकते ऐसी ही एक बीमारी चेचक है जिसके होने से लोग बहुत अधिक घबरा जाते हैं यह बीमारी दो प्रकार की होती हैं |

  • पहले छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी बड़ी माता यानी बड़ी चेचक की बीमारी होती है इस बीमारी में शरीर के ऊपर लाल रंग के दाने निकल आते हैं
  • जिनमें खुजली और दर्द दोनों होते हैं इस बीमारी में कुछ भी अच्छा ना लगना जैसे कई अन्य चीजें होती है यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाती हैं चेचक की बीमारी में कई घरेलू उपचार करके आराम पाया जा सकता है |

चिकनपॉक्स के घरेलू उपचार

इसमें नीम को बडा़ असरदार माना जाता है नीम के पत्तों को पीस ले फिर शरीर में हुए दानों पर इसके लेप को लगाएं जिससे दर्द से राहत मिलती है इसके अलावा नीम को नहाने वाले पानी में डालकर उबाल ले ,और फिर इस पानी से रोगी को नहलाएं चेचक छोटे बच्चों या वयस्क दोनों को हो सकता है चेचक एक विषाणु से होने वाली बीमारी है इस रोग के विषाणु त्वचा की छोटी रक्त वाहिकाए मुंह और गले में अक्सर देखते हैं यह केवल मनुष्य में होते है |

इसके लिए दो तरह के विचारों उत्तरदाई माने जाते हैं चिकन पॉक्स ,वैरिसेला-जोस्टर नामक वायरस के कारण होता हैं यह संक्रामक रोग बहुत अधिक पाए जाते हैं यह फफोले दिखाई देने में‌‌ एक‌ या दो दिन पहले, यह वायरस आपके आस – पास के लोगों के लिए संक्रामक रोग होता है गर्मियां अपने साथ कई सारे इंफेक्शन और बीमारियां लेकर आती है जैसे जैसे गर्मी बढ़ती है वैसे-वैसे कई सारी बीमारियां फिर से आनी शुरू हो जाती हैं |

चिकन पॉक्स यानी चेचक कि बिमारी एक संक्रामक, रोग है जो साफ सफाई कि कमी की वजह से फैलता है यह ,वैरिसेला-जोस्टर कि वजह से होता है इससे पूरी शरीर पर चकत्ते और लाल दाने उभर आते है ‌और दाने निकलने पर शरीर मे खुजली होने लगती है उन दानों से पानी भी निकलने लगता है नीम में एंटीफंगल एंटीबैक्टेरयल और एंटी इनफ्लामेटोर गुण पाये जाते है यह लगभग हर तरह के इंफेक्शन को दूर करने में एक बेहद कारगर और नेचुरल उपाय होता है

छोटी माता के घरेलू उपचार

सबसे अच्छा तरीका है छोटी माता के घरेलू उपचार का आप घर पर ही कर सकते है नीम के पत्तों को पीस ले फिर शरीर में हुए दानों पर इसके लेप को लगाना होता है जिससे दर्द से राहत मिलती है इसके अलावा नीम को नहाने वाले पानी में डालकर उबाल ले ,और फिर इस पानी से रोगी को नहलाएं हल्का गुनगुना हो या नहीं भी हो तो चलेगा |

बड़ी माता का उपचार

बड़े चेचक को हम बड़ी माता कहते है शरीर के ऊपर लाल रंग के दाने निकल आते हैं, जिनमें से ज्यादा से ज्यादा खुजली और दर्द दोनों होता है। इसके अलावा इस बीमारी में व्यक्ति को बुखार भी आता है, लेकिन कभी कभी बखान नहीं आता। साथ ही कमजोरी होना, शरीर में दर्द होना, कुछ भी अच्छा ना लगना और नींद न आना जैसी कई अन्य चीजें होती हैं ।

Chechak Ka Gharelu Upchar in Hindi – चेचक का घरेलू उपचार

चेचक छोटे बच्चों व वयस्क दोनो को हो सकता हैं ‌चेचक होने पर व्यक्ति कई तरह के उपाय करता है झाड़ फूंक आदि भी करवाता है चेचक से जुड़ी समस्या को कम करने के लिए और इसके उपचार मे मदद करने के लिये आप कई तरह से ‌अपनी सहायता स्यमंं कर सकते हैं सबसे पहले चेचक के पिपंल या पपड़ी को खरोचे नहीं । स्क्रैचिंग के कारण घाव भर सकते हैं चेचक को रोगीयो द्वारा उपयोग किए जा रहे समान जैसे की तौलिया ,कपड़े आदि सामान को बाकी लोगों के सामान से अलग रखें
चेचक के रोगियों को अधिक घी अथवा तेल वाले आहार ना दें, एक चम्मच प्याज के रस में 2- 3 काली मिर्च पिसकर कुछ दिन तक रख दे उसके बाद दिन मे दो तीन बार पिये ।

इसके सेवन से छोटी और बडी माता ठीक हो जाती हैं । चेचक के समय शरीर में काफी खुजली होती है इससे बचने के लिए जई के आटे को पानी में मिलाकर 15 मिनट तक उबाले इस पानी को बोथ टब मे डाल कर बच्चे को नहलाएं और इससे खुजली से राहत मिलती हैै बेकिंग सोडा में जीवाणुरोधी गुण होते है। जो घाव को भर कर संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं। आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर इसी साफ कपड़े को इसमें में भिगोकर प्रभावित भाग में लगाएं और सूखने दें वर्तमान में यह रोग बहुत कम देखने को मिलता है |

आज कल सरकार द्वारा शिशु को 3 से 6 मांह कि अवस्था में ‌चेचक रोग के टीके दिए‌ जाते है स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी जाने वाली दवा से चेचक बहुत कम नियंत्रण होता है चेचक से निकले दाने अगले आठ या नौ दिन में सूखने लगते है अथवा वहां पर गहरे भूरे तथा काले रंग के धब्बे हो जाते है त्वाचा से पूरी तरह हटने में दस से बारह ,दिन या कभी कभी इससे अधिक दिन लग जाते हैं। गाजर और धनिया पत्ति दोनो चिजे ठंडी होती हैं ।

इनका मिश्रण एक अच्छी एंटी ओक्सीडेंट होता हैं एक कप गाजर के टुकड़े , और डेढ कप धनिया के पत्ते कटे हुये ढाई कप पानी मे उबाल ले आधा रह जाने पर इसे पिये और यह प्रयोग माह मे दिन मे एक बार जरूर करे ।चेचक एक ऐसा रोग हैं जो‌ कि ज्यादातर गर्मियों में होता है और कुछ दिनों बाद चपटे ,लाल धब्बे, आपके चेहरे हाथों और बाह की कलाई पर उसके बाद आपकीउसके बाद आपकी पर दिखाई देते हैं

चेचक रोग के कारण

इन करने से हो सकता है आपको चिकनपॉक्स चेचक का उपचार वायरस के संपर्क में आने के तीन से चार दिनों के भीतर टीका लगवाने से बीमारियां की गंभीरता कम हो सकती है। इसके कारण की बात करें तो चेचक के कई ऐसे कारण हैं। जिनके द्वारा इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसमें रोगी को काफी तेज बुखार आ जाता है इसके बाद धीरे-धीरे शरीर पर लाल दाने निकलना शुरू हो जाते है। सिर दर्द ,गला बैठ जाना,शरीर में दर्द होना ,और नाक बहने लगती है शरीर पर जो दाने निकले होते हैं।

उन पर खुजली होने लगती है दानों के चारों ओर लाल घेरे बन जाते हैं। और उन पर सूझन आने लगती है । इनके कारण चेचक की बीमारियों को पहचाना जा सकता है। चिकन पॉक्स वैक्सीन का नाम वेरीकाला वैक्सीन है जो दो खुराक का एक कोर्स है एक बच्चे के मामले में चिकन पॉक्स वैक्सीन की उम्र 12 -18 महीने के बीच होती है जब पहली खुराक प्रसारित होती है दूसरी खुराक 4 – 6 साल की उम्र के दौरान दी जाती है रोगी को तब अलग- अलग रखना चाहिए |

जब तक कि जब तक की सभी स्कैन बंद ना हो जाए लगभग 3- 4 वेरोला वायरस के संचरण को रोकने के लिए नॉनम्यून ,व्यक्तियों को निर्जलीकरण से बचने के लिए ,द्रव्य और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन की निगरानी और रखरखाव करना चाहिए बुखार और सर दर्द के लिए दवाएं भी देनी चाहिए अच्छा पोषण समर्थन भी बनाए रखना चाहिए जो टीकाकरण स्थल को छुने और फिर शरीर के किसी अन्य हिस्से या किसी अन्य व्यक्ति को छूने के कारण हो सकता है यह आमतौर पर जांघ या चेहरे पर होता है जिसमें आंखें भी शामिल है,जिससे कि यह दृष्टि को नुकसान पहुंचा सकता है |

वैक्सीन को छूने के बाद साबुन अथवा पानी से हाथ को अच्छी तरह से धोना चाहिए इससे वायरस रक्त के माध्यम से टीकाकरण स्थल से नहीं फैलता है टीकाकरण स्थल (समनीयकृत वैक्सीन )से शरीर के कुछ हिस्सों पर घाव हो जाते है वैक्सीन के जवाब में विषात एलर्जी दाने जो विभिन्न रूपों से (एरिथेमा मल्टीफॉर्म) को ले सकता है भारत में इस उपचार की कीमत 500 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक है वैक्सीन दिए जाने के बाद ठीक है |

कि साइड की देखभाल के लिए निर्देशों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है चेचक का टीका कितने देर तक लोगों को बीमारी से बचाता है लोगों का मानना है कि इसका असर 3 से 5 साल तक रहता है और समय के साथ खत्म हो जाता है वैज्ञानिक वेरयोला वायरस से संबंधित वैक्सीन वायरस के उपयोग से चेचक के टीके बनाते हैं क्योंकि यह कम स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है यह टीका शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को “एंटीबॉडी” बनाने में सहायक होता है जो वेरियोला वायरस से बचने के लिए चेचक को रोकने में मदद करता है यह टीका अजीवन सुरक्षानहीं देता है |

इसलिएअगर किसी व्यक्ति को कई साल पहले यह टीका लगाया गया हैतो उस व्यक्ति को वेरीरोला वायरसफिर से संक्रमित कर सकता है यह केवल उन लोगों को नहीं होता है जिन्हें पहले कभी चेचक हुआ था और वे जीवन घातक खतरे से बच सकते हैं चेचक के टीकाकरण की कोशिशों नेपोलियो और कोविड-19 जैसी बहुत सारे वैश्विक टीकाकरण अभियानों का प्रचार किया चेचक से छुटकारा पाने के लिए पुरानी कोशिशों के विस्तार पर ही आज हम कोविड-19 के टीकाकरण की रफ्तार और असर को बड़ा सकते हैं

गर्भवस्था में बच्चे को भी खतरा बढ़ सकता है

गर्भावस्था के समय महिला को चिकन पॉक्स होने पर नवजात शिशु संक्रमण का खतरा 70% बढ़ सकता हैकमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमतावाले लोगों को भी यह वायरस आसानी से शिकार बना लेता है इसलिए गर्भ ठहरने के 14 हफ्ते के बाद दी गई पावर बूस्टर डोज को वेरीसैला वायरस के बचाव के लिए इस्तेमाल करना चाहिए चिकन पॉक्स के मरीजों को सेट फूड मीट और डेरी प्रोडक्ट, अंडे खाने से बचना चाहिए |

चिकन पॉक्स के दौरान सिट्रस फूड यानी खट्टे फलों को और उनका जूस पीने से बचाओ करना चाहिए चिकन पॉक्स के मरीजों को खाने से पानी से भरपूर खाने को शामिल करना चाहिए जैसे गाजर का ताजा जूस ,तरबूज कीवी, नाशपाती आदि फलों का सेवन करना चाहिए दही आई साटि और ठंडा पानी जैसी चीजें लेने से आराम मिलेगा |

चिकन पॉक्स के शुरू के 3 दिन दही और चावल ही खाना चाहिए चेचक रोग होने से हमें खाने में बहुत ध्यान रखना चाहिए जैसे कि मसालेदार फूड, चॉकलेट ,पनीर बटर ,नमक युक्त फूडें, ना खाए और जंगफूड के साथ तले हुई कोई भी चीज ना खाएं वयस्क विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं बच्चों की तुलना में रक्तस्राव चेचक से अधिक बार प्रभावित होता है लोगों ने अधिक गंभीर लक्षणों का अनुभव किया जिसमें चेचक के संक्रमण के लिए इलाज में कोई मानव तरीका महामारी और सहायक उपचार को रोकने के लिए टीकाकरण किया गया है

FAQS

चिकन पॉक्स कितने दिन रहता है?

चिकन पॉक्स दो-चार सप्ताह में ठीक हो जाता है |

चिकन पॉक्स में दूध पीना चाहिए या नहीं?

ध्यान रखे चिकनपॉक्स में रोगी को भूख – प्यास नहीं लगती लेकिन दे रहे है तो खाने में या पिने में दूध से बानी सामग्री नहीं देनी चाहिए |

चिकन पॉक्स में क्या खाना चाहिए?

आपको बता दे चिकनपॉक्स के शुरू के तीन दिन दही और चावल ही खिलाना चाहिए और गाजर का ताजा जूस, तरबूज, किवी, नाशपती आदि फल। दही, आइसटी और ठंडा पानी जैसी चीजें लेने से आराम मिलेगा।

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