नमस्कार दोस्तों आर्टिकल पेज में आपको पेड़ों के बारे में क्या क्या फायदे हैं और इनसे हम बीमारियों से कैसे बच सकते हैं पेड़ पौधे होने से प्रकृति की शुद्धता बढ़ती है ऑक्सीजन मिलती है ती है लोगों को छांव मिलती है पेड़ पौधे लगाने से सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं दोस्तों जानते पौधे हमारा पर्यावरण अच्छा बनाए रखते हैं और वृक्षारोपण के बारे में कॉलेज में पेपर में एग्जाम में अत्यधिक प्रश्न पूछे जाते हैं को लेकर हमें शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है तो आइए दोस्तों हम रक्षा रोपण हैं अथवा गांव के बारे में आपको बताते हैं
पृथ्वी का वातावरण
पृथ्वी का वातावरण बहुत विस्तृत है लेकिन जीव केवल 6 किमी हवा में 8 किमी तक समुद्र में पाए जाते हैं 14 किमी का यह क्षेत्र जीवमंडलीय हैं पृथ्वी पाए जाने वाले और जंतु इसीपृथ्वी पाए जाने वाले जुड़े और जंतु जीव मंडल में रहते हैं
प्रकृति में विभिन्न प्रकार के जीव एक साथ रहते हैं पौधों और जंतुओं की कई जातियों के समूह जो एक प्राकृतिक क्षेत्र में निवास करते हैं जैव समुदाय कहलाते हैं जैव् समुदाय में केवल जीवन जीवधारी वही आते है यदि इसमें अजैविक घटकों को शामिल कर लिया जाए तो अच्छा होता है
जीव मंडल से जुड़े मुख्य तथ्यों की सूची
वातावरण | इसमें चट्टानी मिट्टी आदि शामिल हैं जिनमें इसके सभी तत्व आदि प्राप्त होते हैं |
जलमंडल | इसमें मंडल मंडल के वह सभी भाग जाते हैं जहां जल मिलता है जैसे समुद्र झील नदी तालाब आदि |
वायुमंडल | पृथ्वी और जल की ऊपरी सतह के हिस्से को वायुमण्डल कहते हैं कि इसमें मौजूद तत्व अक्षीय कार्बन गैस नाइट्रोजन आदि और विनाश पाए जाते हैं। |
इकोलोजी
विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीव एवं वातावरण के पारस्परिक परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है उसे इकोलॉजी कहते हैं
जैव समुदाय और अजायव समुदाय तथा वातावरण के। चिपके संबंध को परिग्रह कहते हैं दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जीव और वातावरण सामूहिक एक जीव विज्ञान वैज्ञानिक संस्था इस प्रकार की कई प्रकृति में मिलती है जैसे तालाब में मिलने वाले जीव तथा अजय एकल क्रिया आत्मनिर्भरता संस्था बनाते हैं। हैं
हम इसे तालाब का परितंत्र कहते हैं इसी प्रकार समुद्र का परितंत्र बहुत बड़ा और जटिल होता है इसी तरह टुंड्रा टाइगर घासी स्थल रेगिस्तान आदि भी विभिन्न प्रकार की परितंत्र है इन सब का क्षेत्र अधिक विस्तृत है इन बड़े परितंत्रों में से एक।
जीव कहते हैं कि जीवन कहता है कि पृथ्वी स्वयं एक बहुत वृहद परितंत्र है पृथ्वी स्वयं एक बहुत वृहद परितंत्र है जिसके अजैव वातावरण में मनुष्य तथा अन्य जीव अजैव प्रभावों से संघर्ष करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं।
परितंत्र के संरचनात्मक घटक-सोच परी तंत्र परितंत्र संरचनात्मक घटकों का अध्ययनहम सरलता के लिए तालाब के परितंत्र को लेकरकरेंगेतालाब या अन्य किसी परितंत्र को दो भागों में बा
अजैव घटक
इसमे भौतिक जैसे घटक की। जल का प्रकाश विद्युत आदि लवण आदि अकार्बनिक पदार्थ वैसे आदि शामिल है यह पदार्थ हमारे वातावरण में निरंतर पाया जाता है। तथा इन पदार्थों का पुनर्चक्रण होता है इसमें प्रकृति में इनका संतुलन बना रहता
.उत्पादक
क्योंकि जिम्तु जीव द्वारा उत्पादित पदार्थों का उपभोग करते हैं इसलिए यह उपभोक्ता कहलाते हैंशाकाहारी जीव जैसे टेड पोलाजलीय कीट के कुछ अंशों को लाभ हैंअतः यह प्रथम श्रेणी को उपभोक्ता कहलाते हैं छोटे मछलियां मेंढक आदि शाकाहारीतु का भक्षण करते हैं इसलिए ये श्रेणी II के उपभोक्ता कहते हैं कि बड़ी मछली सांप आदि छोटे मांसाहारी जंतु का भक्षण करते हैं इसलिए इन्हें तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता कहते हैं
इसके तहत हरे संयंत्र आते हैं जो अपने भोजन स्वयं बनाते हैंतथा भोज्य पदार्थों का उत्पादन करते हैं क्योंकि अपने भोजन स्वयं बनाते हैं इसलिए प्राथमिक उत्पादकों को कहा जाता है जैसे तालाब परितंत्र में पाए जाने वाले संयंत्र हाइड्रिया जलकुंभी पिस्टिया आदि
अपघटन
- इसके अंतर्गत मृतोपजीव जीवाणु का समय जीवाणु मकोड़े और मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्म जीव होते हैं जो उत्पादक और उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने पर उनकी अपघटन करते हैं और उनके जटिल तत्वों को सामान्य अकार्बनिक पदार्थों में बदलते हैं
जीवाणु के अपघटक
साइटी परितंत्र में उत्पादकों और अपघटक वाले जीव शामिल हैं जैसे वन परितंत्र में वृक्षारोपण और झाड़ियां प्रथम व्यापारी कीट गिलहरी समझौता गाय आदि शाकाहारी दूसरा व्यापारी फॉक्स टाइगर आदि मांसाहारी तृतीय प्रति उपभोक्ता जीवाणु परजीवी आदि मृत जीवो का अपघटन
भोजन
जीवो की श्रंखला जो भोजन के आधार पर एक दूसरे से संबंधित हो भोजन श्रंखला कहलाती घास के मैदान के परितंत्र में घास भोज्य पदार्थों का उत्पादन करती है
टिड्डा घास को खाता है टिड्डे को मेडक और मेंढक को सांप और सांप बाज का भोजन बनता है इसी प्रकार की अनेक शंकाएं जीवन मंडल में मिलतीक्योंकि एक जंतु क्योंकि एक जंतु विशेष कई प्रकार के जंतुओं का भक्षण करता है बहुधा यह श्रंखला अंदर ही अंदर एक दूसरे से संबंधित होती हैं प्रकार इन के परस्पर मिलने से खाद्य जल मिलत
वातावरण का प्रयोग भाग जोजीवन पर प्रभाव डालता है स्थिति विकार कारक कहा जाता है इन कारकों को चार घटकों में पहचाना जा सकता है
परिस्थितिक कारक
स्थलाकृति कारक | स्थान की लंबाई भूमि का ढाल पर्वत की दशा आदि |
मृदीय कारक | इसमें सूक्ष्म की उपस्थिति सूक्ष्म में सूक्ष्म जीव वायु में सूक्ष्म की उपस्थिति सूक्ष्म में जीवांश वायु व चमक की मात्रा सूक्ष्म की अमलीयता प्रमुख इन |
जलवायु कारक- | इस प्रकार ताप वायु गति प्रदूषण से वातावरण में प्रमुखता से चमकते हैं |
जैविक कारक
इसमें किसी स्थान की वनस्पति एवं जंतुओं के संबंध संबंध किसी स्थान पर आने वाले से परस्पर संबंध एवं जैसे को सूक्ष्म में रहने वाले सूक्ष्म रूप के प्रमुख उत्तर होते है
सामाजिक वन की सेवा
1. | लोग वनों में जाते हैं पेड़ों नीचे साफ सफाई करते हैं ताकि वहां बैठने उठने के लिए व्यवस्था बन जाए और पेड़ों के नीचे गंदगी भी ना लगे |
2. | वनों को साफ रखने से हमें शुद्ध हवा और वायु मिलती है खेत में बड़े-बड़े पेड़ और हरी-भरी पौधे लगाने चाहिए |
3. | पौधों को लगाकर उनमें दिन _ दिन पानी डालना चाहिए सूखे ना |
4. | वनों की सेवा करने के लिए वहां के पेड़ है ना कटवाए |
5. | ज्यादातर लोग अपने हित के लिए वनों के पेड़ कटवा देते हैं और इससे ज्यादा से ज्यादा हमें लोगों का नुकसान होता है क्योंकी हमे सुध्द हवा नहीं मिलती है |
वृक्षारोपण कैसे करें?
जिन जगहों पर वृक्षों का घेरा बनाना वहां गर्मियों में 45×45×45 । गेमैक्सिन मिथक और कंपोस्ट आदि संबंध।भर में किसी को देखते हुए कभी कलर पकड़ नहीं लेना चाहिए बल्कि पिंडी के नीचे हाथ घिसना सावधानी से ग्राम को गड्ढ़े के अंदर हटाकर पिंडी को चारों ओर से देना से अच्छी तरह दबा देना चाहिए और इस बात को दबा देना चाहिए। का ध्यान रहे कि गड्ढा में पौधा सीधा बाल्टी रहना चाहिए,
इसकी गड़ने में पहले पानी डाल देना चाहिए पानी की गड़गड़ाहट में नहीं होना चाहिए 18 से 10 दिन की सड़कों पर पहुंच को बनाए रखने के लिए 20 से 25 दिनों तक पानी देना चाहिए के बाद के ढांचे के गुड़ाई करके खाना बना देते हैं जो संयंत्र मर गए हैं उनकी जगह दूसरे संयंत्रों को इस प्रकार की समानता की देखभाल करनी चाहिए।
इससे हम बहुत सारे संक्रमण से बच सकते हैं बीमारियों से बच सकते हैं रोगों से बच सकते हैं हो सके तो खाद्य का प्रयोग करें हि न इसे स्वास्थ्य खराब हो जाती है बीमारियों का संक्रमण बढ़ जाता है नए-नए रोगो को उत्पन्न होने की एक नई जगह मिल जाती है जैसा जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में पेड़ पौधे कितने जरूरी हैं इस से अच्छा है कि वनों की कटाई ना करवाएं पेड़ पौधों पर फसल पर खाद का प्रयोग ना करें